वर्तमान पुस्तक चारा उत्पादन एवं संरक्षण में चारा उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के विभिन्न पहलूओं पर प्रकाश डाला गया है जिससे कि डेरी व्यवसाय हेतु वर्ष भर हरा चारा पशुओं को उपलब्ध हो सकें। सर्वप्रथम चारा उत्पादन की महता पर प्रकाश डाला गया है। अध्याय 2 से 9 तक महत्त्वपूर्ण चारा फसलों यथा बाजरा, ज्वार, मक्का, ग्वार, लोबिया, जई, बरसीम एवं रिजका की शष्य तकनीकियों का विवरण दिया गया है। अध्याय 10 में कृषि भूमियों में उत्पादन किए जाने वाले घासों के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है। अध्याय 11 से 16 तक अकृषि भूमियों, चारागाहों, वन चारागाह एवं समस्याग्रस्त भूमियों पर उगाएं जाने वाले विभिन्न घासों एवं वृक्षों का विवरण दिया गया है। साथ ही उन्नतशील चारा प्रजातियों का भी विवरण दिया गया है। अध्याय 17 में चारा संरक्षण की मुख्य विधियां यथा साईलेज एवं हे का सरल एवं सहज भाषा में विस्तार से वर्णन किया गया है। पुस्तक का उद्देश्य वर्ष भर हरा चारा उत्पादन तकनीकियाँ विभिन्न उपयोगकर्ताओं के पास पहुँचाना है, जिससे दुग्ध उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हो सकें।