आयुर्वेद का मूल आधार औषधीय वनस्पतियाँ अथवा द्रव्यगुण विज्ञान है। औषध द्रव्यों के वात, पित्त एवं कफ के ऊपर एवं इनके 7-7 उष्ण, रुक्षादि गुणों पर होने वाले प्रभावों को ध्यान में रख कर ही औषधियों का निर्माण किया जाता है। किन्तु यदि हम देखें तो ज्ञात होगा कि अश्वगन्धा, एरण्ड, शतावरी, घृत, तैल, दशमूल, निर्गुण्डी, माष, अजवायन इत्यादि वातनाशक औषध द्रव्यों का वातनाशन प्रभाव, मात्रात्मक एवं गुणात्मक रुप से एक जैसा नहीं है। ऐसा ही पित्तनाशक व कफनाशक द्रव्यों के विषय में है।
प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं सब बातों पर विचार करके मुख्य-मुख्य औषध द्रव्यों के त्रिदोष व उनके गुणों पर पडने वाले प्रभाव का मात्रात्मक एवं गुणात्मक या तर तम भेद का वर्णन किया गया है।
प्रस्तुत पुस्तक में निम्न बिन्दुओं का वर्णन किया गया है - 1. औषध द्रव्य का नाम। 2. औषध द्रव्य के संस्कृत नाम। 3. संहिताओं के महाकषाय अथवा गणों का उल्लेख। 4. औषध द्रव्य का विभिन्न स्रोत्स पर प्रभाव का उल्लेख। 5. औषध द्रव्य के रस, गुण, वीर्य, विपाक का शास्त्रीय उल्लेख एवं जहां इनका शास्त्रीय उल्लेख नहीं उपलब्ध होता वहां उसकी पूर्ति। 6. औषध द्रव्य के वात, पित्त, कफ के नाशत्व का उल्लेख एवं प्रभाव की ग्रेडिंग। 7. औषध द्रव्य के वात, पित्त, कफ के कारत्व का उल्लेख एवं प्रभाव की ग्रेडिंग। 8. औषध द्रव्य के विभिन्न संहिता ग्रन्थों एव निघण्टुओं व अन्य शास्त्रीय पुस्तकों में नाम एवं गुणों के सम्पूर्ण सन्दर्भ श्लोकों का संग्रह। 9. औषध द्रव्यों के वात, पित्त, कफ के 7-7 गुणों, कुल 21 गुणों के नाशत्व की ग्रेडिंग की सूचियां। 10. विभिन्न स्रोतोदृष्टि में कार्यकारी औषध द्रव्यों की सूचि। 11. वृहत्त्रयी के शास्त्रीय सन्दर्भ, त्रिदोष, गुण व रसों के। 12. औषध द्रव्यों के त्रिदोष नाशत्व की तर तमता भेद से सूचियाँ। 13. त्रिदोषों के विभिन्न गुणों पर औषध द्रव्यों के प्रभाव का तर तम भेद से सूचियाँ। 14. औषध द्रव्यों का रस, गुण, वीर्य, विपाक के विवेचन की सूचियाँ। 15. यूनानी औषधशास्त्र से तुलना।