यह पुस्तक राष्ट्रीय सुरक्षा के सम्मुख उभरते खतरे और उनके समाधान के परिप्रेक्ष्य में लिखी गई है।
21 वीं सदी में राष्ट्रों के सम्मुख राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है, वर्तमान समय में आंतरिक सुरक्षा, बाह्य सुरक्षा, आतंकवाद, अन्तरिक्ष सुरक्षा एवं पर्यावरणीय सुरक्षा जैसे मुददे उभर कर सामने आये हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा राष्ट्रों के साथ-साथ मानव मूल्यों से भी अभिन्न रूप से जुडी हुई है। इसका लक्ष्य मानव अस्तित्व को बनाये रखने के साथ-साथ राष्ट्र के अस्तित्व को भी बनाये रखना है। इन्ही के परिणामस्वरूप राष्ट्र अपने विकास के विभिन्न लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के परंपरागत एवं अपरम्परागत खतरों से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए यह आवश्यक है कि राष्ट्र अपने आप को सभी क्षेत्रो में मजबूती प्रदान करें।