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Ashok Chakravijeta (Hindi)
Rashmi
₹470
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ISBN 13
9789351869733
Year
2016
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भारत पराक्रमियों का देश है। प्राचीनकाल से लेकर वर्तमान काल तक हमारे शूरवीरों की अनेक पराक्रम-गाथाएँ प्रचलित हैं। हमारा प्राचीन इतिहास पराक्रम की गाथाओं से भरा पड़ा है। देश पर जब-जब संकट की घटाएँ गहराईं, तब-तब युवा पराक्रम अपना शौर्य दिखाता नजर आया। भारतवर्ष अपने इन्हीं युवाओं के कारण सदैव से विश्व-पटल पर अनुकरणीय उदाहरण बनकर खड़ा रहा है। देश ने जब भी अपने युवाओं को पुकारा, वे देश पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने को दौड़े चले आए। युवा आज भी अपनी जान पर खेलकर राष्ट्र की एकता को अक्षुण्ण बनाए हुए हैं। ?अशोक चक्र? शांति के समय अभूतपूर्व वीरता के प्रदर्शन हेतु प्रदान किया जाता है। 27 जनवरी, 1967 को ?अशोक चक्र? नामित किया गया। पहले इसका नाम ?अशोक चक्र वर्ग 1? रखा गया था। यह भी गणतंत्र दिवस पर प्रतिष्ठित किया गया, किंतु 15 अगस्त, 1947 से ही मान्य हुआ। यह पुस्तक अशोक चक्र से विभूषित पराक्रमी वीरों-हुतात्माओं का पुण्य-स्मरण कराती है।