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Asahaj Padosi Bharat Aur Cheen (Hindi)
Ram Madhav
₹370
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ISBN 13
9789351863243
Year
2015
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सन् 1962 के युद्ध के पाँच दशक बाद भी भारत और चीन के संबंध असहज बने हुए हैं। राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों के बढ़ने के बावजूद दोनों देशों के बीच अविश्वास बना हुआ है। बाहरी तौर पर दोनों देशों के नेता संबंध मजबूत करने की प्रतिबद्धता जाहिर करने में कभी नहीं चूकते, लेकिन दोनों ही जानते हैं कि उनके बीच एक ऐसी विशाल खाई है, जिसे पाटना कठिन है। दूसरी सहस्राब्दी के अंत में और बीसवीं शताब्दी के मध्य में, भारत और चीन, दोनों ही स्वतंत्र सत्ता केंद्रों के रूप में दोबारा उभरे, जो अपनी तुलनात्मक आबादी और संसाधनों के बल पर आगे बढ़ने के इच्छुक हैं। इस कारण से दोनों देश एक बार फिर एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी बन गए। चीन और भारत ने चालीस के दशक के अंत में स्वतंत्रता के बाद पूरी तरह से राजनीतिक तंत्र अपनाए। पचास के दशक में तिब्बत पर चीन के कब्जे एवं सन् 1962 के भारत-चीन युद्ध ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। सन् 1962 के युद्ध ने आग में घी का काम किया। प्रस्तुत पुस्तक में सन् 1962 के युद्ध का इतिहास बताया गया है और अपने पड़ोसी को सही तरह से समझने में भारत की असफलता को उजागर किया गया है। भारत को अपनी इस असफलता का नुकसान लगातार उठाना पड़ रहा है, क्योंकि चीन ने युद्ध के बाद भी वही रास्ता अपना रखा है, जो उसने युद्ध के पहले अपनाया था। यह स्थापित करती है कि दोनों देश एक-दूसरे के प्रचंड विरोधी बने रहेंगे और ऐसे में भारत के लिए यह जरूरी है कि वह अपने असहज पड़ोसी देश चीन की सोच, रणनीति और बदमिजाजी को समझे।