नरेन्द्र कुमार सिन्हा का जन्म बिहार के गया नगर में २ अगस्त, १९३२ को हुआ था । इन्होंने हिन्दी, पालि, तथा संस्कृत में एम० ए० करके १९६३ में आगरा विश्वविद्यालय से भाषा-विज्ञानमें पी०-एच०-डी० किया । गया कालेज, गया में इन्हॉने १९५६ से १९६७ तक हिन्दी के व्याख्याता के रूप में काम किया । इस बीच इन्होंने मुंडा भाषा पर काम करके दो पुस्तकों का भी प्रणयन किया । भारत में नैदानिक भाषाविज्ञान का प्रवर्तन (जिसका नामकरण ही क्लिनिकल लिंग्विस्टिक्स के नाम से सन् १९७२ में हुआ ) नरेन्द्र कुमार सिन्हा ने ही अपनी पी०एच०डी० के द्वाराकिया । फलस्वरूप इन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली, में कुछ वर्षों तक काम किया । तदनन्तर, ये मैसूर के केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान में भी कुछ वर्षों तक कार्यरत रहे । । सन् १९८० में ये अमेरिका चले गये , जहाँ इन्हॉने कुछ समय तक मिनिसोटा विश्वविद्यालय तथा विस्काँसिन विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाने के बाद वाणी-उपचार-विशेषज्ञ के रूप मेंकईवर्षों तक काम करके सन् २००० में अवकाश ग्रहण किया । तब से अब तक ये हिन्दी तथा अँग्रेज़ी में प्राय: १५ पुस्तकों का प्रणयन कर चुके हैं जिनमें कहानी, उपन्यास , कविता, अनुवाद इत्यादि सम्मिलित हैं ।इन्होंने अभी-अभी डा० बी० बी० लाल की प्रसिद्ध पुस्तक “हिस्टोरिसिटिऑफ़ महाभारत” का हिन्दी में तथा पालि भाषा के धम्मपद का अनुवाद अँग्रेज़ी में किया है ।