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Sant Prampara me Varkari Panth, Samajik Chintan ke Sandarb Me (Hindi)

Sant Prampara me Varkari Panth, Samajik Chintan ke Sandarb Me (Hindi)

Jyotsna Pandey
553 650 (15% off)
ISBN 13
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9788184888249
Language
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Hindi
Year
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2019
मध्ययुगीन संत परंपरा में वारकरी पंथ सामाजिक चिंतन के संदर्भ में इस शोध विषय को मैंने अपने शोधकार्य के लिये जब चुना तब मन में यही था की संत परंपरा में महाराष्ट्र के वारकरी पंथ का अवगाहन करेंगे तो युगीन संदर्भ में उनके योगदान को रखा जाना जरूरी है | किसी भी समय के आदर्श इस मूल्यवत्ता को यदि हमनें युगीन कसौटी पर नहीं कैसा तो उस आदर्श का महत्त्व अर्थहीन हो जाता है | महाराष्ट्र की वारकरी संत परंपरा ने उत्तर की संत परंपरा को भी संस्पर्शित किया है | नामदेव तो ऐसे संत शिरोमणि थे जिनके पद गुरु ग्रंथ साहिब में भी संकलित हैं, और बड़ी श्रद्धा से पढ़े भी जाते है | महाराष्ट्र में संतों ने एक ओर जहाँ अपनी मातृभाषा मराठी में यहाँ अलख जगाने का काम किया वही सहज सरल हिंदी में भी अपनी बात को रखा | सामान्य तौर पर हिंदी के समीक्षकों ने इन संतों के अवदान के बारे में समीक्षात्मक ब्यौरा देना चाहिए था | परन्तु प्रायः इन संतों का उल्लेख मात्र करके संतोष कर लिया गया | मुझे लगता है की महाराष्ट्र की संत परंपरा और विशेषतः वारकरियों के क्रांतिकारी पृष्ठभूमि को समझे बिना उत्तर की संतपरंपरा का सम्यक मूल्यांकन नहीं हो सकता है | वारकरी परंपरा के कुछ संत तो ऐसे हैं जो हिंदी जगत में पहचाने जाते है किंतु कुछ ऐसे हैं जो हिंदी समाज से उतने परिचित नहीं है | अतः इस शोध ग्रन्थ के माध्यम से एक ओर जहाँ हिंदी और मराठी की पारस्परिकता का अनुशीलन करने का मैंने प्रयास किया है, वहीं इस परंपरा के अन्य संतो का विशिष्ट परिचय भी मैं हिंदी जगत के सामने लाना चाहती थी | धर्म एवं समाज की विषम परिस्थितियों को सुधारने के लिए भक्ति आंदोलन के संतों के साथ ही वारकरी संतों ने जो महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उसका अनुशीलन प्रस्तुत प्रबंध का उद्देश्य है | यह अध्ययन महाराष्ट्र एवं उत्तर भारत के संत-भक्त कवियों की वाणियों के आधार पर किया गया है | शोध प्रबंध का अध्ययन आठ अध्यायों में सम्पन्न हुआ है | विषयानुक्रमणिका - १. (अ) समाज एवं सामाजिक चिंतन (ब) मध्यकालीन समाज की तत्कालीन स्थितियों का मूल्यांकन २. मध्यकालीन सांस्कृतिक परंपराओं का बोध ३. मध्यकालीन भक्ति आंदोलन की पृष्ठभूमि ४. मध्यकालीन भक्ति साहित्य एवं समाज ५. (अ) भक्ति आंदोलन की चेतना एवं महाराष्ट्र का वारकरी-संप्रदाय (ब) वारकरी संतों की परंपरा ६. वारकरी संतों का काव्य और समाज ७. संत परंपरा में वारकरी संतों का प्रदेय ८. उपलब्धियाँ और उपसंहार परिशिष्ट